Friday, January 7, 2011

Pyar ka Driya hai Ma.

आज के बदलते परिवेश में रिश्तों को कोई अहमियत नही रह गई है फिर भी एक रिश्ता है जो सदा एक अहम् भूमिका निभाता है! न होते हुए भी लगता है की वो हमारे आस पास ही है, हमारी निगरानी कर रहा है! वह और कोई नही "माँ" का रिश्ता है! माँ महान है, माँ माखन है, माँ मिश्री है! इश्वर ने भी तो कहा  है की माँ meri और से एक दुर्लभ उपहार है! समुद्र ने कहा है की माँ एक सीपी है जो अपनी संतान के सभी दुःख अपने सीने में छुपा लेती है! तो बादलनें भी कहा है की माँ एक चमक है जिस में हर रंग उजागर होता है! माँ के लिए एक क्रूरतम शाशक नादिर शाह  ने भी कहा है" मुझे फूल और माँ में कोई फरक दिखाई नही देता"! औरंगजेब ने भी कहा की माँ के बिना घर कब्रिस्तान है!  मेरा मानना है की माँ के कदमो तले ही स्वर्ग है! वे स्वयं को भाग्यवान समझे जिन्हें माँ की सेवा का अवसर मिला है! यदि माँ को प्रसन्न रखा है तो इश्वर आप के घर में ही है! आशीर्वादों की झरी लग जाएगी! एक बात और याद रखना जो आप कर रहे हैं अपने माँ बाप के साथ, आप की संतान उसकी साक्षी है! वो सभी संस्कार आपके ही ग्रहण कर रहे हैं! रही माँ की बात वो तो प्यार का दरिया है!
 

2 comments:

  1. बहुत ही खुबसूरत रचना !
    आपको बहुत बहुत बधाई !
    दो लाइन मेरी तरफ से भी माँ के लिए ,,,,,,,

    ये मेरे मालिक तेरा हमपे ये करम हो गया !
    तुने अपनी जगह माँ का जो हमको साथ दिया !
    तू भी जनता था की अकेले तो हम न रह पाएँगे !
    इसलिए चुपके से माँ बनके हमारा हाथ थाम लिया !

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  2. good going..... maa beti ka comeptition......je baat !!!!

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